मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

देखो ना


दोस्तों



देखो न



कैसी खुबसूरत खामोशी है



जो पसर रही है



मेरे-तुम्हारे भीतर







के दुनिया दिन-ब-दीन



कितनी खुबसूरत होती जा रही है





पोस्टर पर



मुस्कुरा रहा है मंगलू



नैनो में नैनो चमक रही है



रामू की बस्ती में



एक्वागार्ड छान रहा है प्यास



रिक्शा khhich kar thhaka chainu



brislari se bujhata hai प्यास



बिसेसर की जेब में है टाटा-अम्बानी



हर रोज देस फोन लगा



जोरू को बताता है



दिहाडी के किस्से



गावो के गावो



किंगफिशर पैर मुग्ध है



पुनीत के कुंवे से



पानी नही



कोका-कोला निकलता है



आधी आबादी पड़ती है डीपीएस जैसे स्कूलों में



आधी को



मोबाईल पर abhisek पदाता है





fatichar लोग



chun रहे है ख़ुद के लिए



karodpati sansad-widhayak



सितारे, galiyon-chaurahon पर



भीख mang रहे है



बड़े babu का बेटा



hiro-honda par sawar है



bitiya skuti par farrte bhar रही है



bhikhu chaprasi का बेटा



रोज fast food mangta है



बाप की जेब जो लाल है



कैसे खुबसूरत nazare है दोस्तों





udhar bam



इधर हम



udhar warun lalkar रहे है



इधर jagdish पर wichar रहे है



sanju बाबा की jhhappi-pappi



lalu का thenga



karunauanidhi की yari



bastar में janta bechari



polis naxali दोनों maar रहे है





mulayam के sath kalyan है



adwani-manmohan का bayan है







देखो न doston



कैसी खुबसूरत खामोशी है



जो पसर रही है



मेरे-तुम्हारे भीतर



























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