शनिवार, 25 अप्रैल 2009

ज़ज्बा रंग लाया

बेंगलूर की दो वृद्धाओं ने समाजसेवा के उद्देश्य से वृद्धाश्रम बनाने का सपना पाला और फिर पिज्जा बेचकर इसे सच भी कर दिखाया। पिज्जा दादी के नाम से मशहूर 73 वर्षीय पद्मा श्रीनिवासन और 75 वर्षीय जयलक्ष्मी श्रीनिवासन के जहन में वर्ष 2003 में एक वृद्धाश्रम बनाने का विचार आया, तो उन्होंने पिज्जा बेचकर इसका निर्माण करने का फैसला पद्मा ने इसके लिए पहले बेंगलूरु से 30 किलोमीटर दूर विजयनगर गांव में एक भूखंड खरीदा। एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से वित्ता प्रबंधक के रूप में सेवानिवृत्ता पद्मा ने कहा कि भूखंड खरीदने के लिए मैंने अपने पास से 10 लाख रुपये खर्च किए।वह आगे बताती है कि यह भूखंड 22,000 वर्ग फुट का है, लेकिन अब इस भूखंड पर वृद्धाश्रम का निर्माण करने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। इस कार्य में 78 लाख रुपये की लागत आने वाली है। इसी दौरान मेरी बेटी सारसा वासुदेवन व मेरी मित्र जयलक्ष्मी ने इस काम हेतु पैसे जुटाने के लिए पिज्जा बनाकर बेचने का सुझाव दिया। इसके साथ ही पिज्जा का मेरा कारोबार शुरू हो गया। पिज्जा हेवेन' नामक पिज्जा की दुकान पद्मा की बेटी के गरेज में शुरू हो गई। पिज्जा की आपूर्ति बेंगलूरु के आईटी कंपनियों में शुरू की गई। जल्द ही पिज्जा यहां के युवा आईटी कर्मचारियों का पसंदीदा बन गया। पिज्जा से होने वाली आय व शुभचिंतकों के आर्थिक सहयोग से वर्ष 2008 के जून महीने में 'विश्रांति' नामक वृद्धाश्रम बनकर तैयार हो गया। 'विश्रांति' में अभी 10 वृद्ध रहते है। इस संख्या में जल्द ही बढ़ोतरी होने वाली है।

दैनिक जागरण के हवाले से चोखेर बाली पर ख़बर (साभार)

http://blog.chokherbali.in/search/label/%E0%A4%86%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE

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