शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

बच्चे गुड्डा-गुड्डी नही


दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि बाल विवाह की वैधता का फैसला करते समय बच्ची के कल्याण को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए तथा माता-पिता को नाबालिग बच्चियों के विवाह से रोकने के लिए अधिक कड़े कानून बनाए जाने चाहिए।
बाल विवाह की वैधता के मामले को देख रही न्यायाधीश विक्रमजीत सेन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, 'यह बेहतर होगा कि कानून को अधिक कड़ा बनाया जाए ताकि माता-पिता अपने नाबालिग बच्चों को विवाह के लिए मजबूर न न करें।' इस मामले में अपने फैसले को सुरक्षित रखते हुए पीठ ने कहा, 'भारतीय समाज में इस प्रकार का विवाह बच्ची के हित में नहीं है, क्योंकि यदि नाबालिग बच्ची का विवाह रद्द घोषित हो जाता है तो पुन: उसका विवाह करने में दिक्कत आएगी।' नाबालिग के विवाह की वैधता के मुद्दे पर न्यायाधीशों के बीच मतभेद होने के कारण अदालत की पूर्ण पीठ से इस मामले की सुनवाई करने को कहा गया था।
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एक ज़िन्दगी आपके हाथ में है
दोस्तों,
आज अक्षय तृतीया है । इंडिया में यह बड़ा ही शुभ दिन माना जाता है । ऐसा कहा जाता है की इस मुहूर्त में कोई दोष नही होने की वजह से शादिया भी बड़ी शुभ होती है। लेकिन दोस्तों आस्था की गर्भ से कई अंधविश्वासों ने भी जन्म ले लिया है । इस मुहूर्त पर गांवो में ( और शहरो में भी ) अक्सर मासूम बच्चो की भी शादिया कर दी जाती है। आपके इलाके में भी ऐसा रिवाज़ हो तो सावधान रहें। अपने आस पास नज़र जमाये रखें, बाल विवाह की सुचना पुलिस और प्रशासन को जरुर दे ।
और हाँ, यदि कोई ऐसा मामला आपके ध्यान में हो जिसमे इस कुप्रथा की वजह से किसी की ज़िन्दगी तबाह हुई हो तो किस्सा हमें लिख भेजे। ईमेल या टिप्पणियों के माध्यम से। इतना ख्याल रखे की किसी की मान हानि न हो ।
मासूमो की ज़िन्दगी बचाने में यह आपका बड़ा योगदान होगा।
-आजभी

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