शनिवार, 2 मई 2009

सवाल दर सवाल है

बोफोर्स रिश्वत कांड में अभियुक्त ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस वापस लेने से सीबीआई की तत्परता पर भी सवाल उठने लगे हैं। सीबीआई ने जितनी जल्दबाजी में क्वात्रोच्चि का नाम वापस लिया उतनी तत्परता वेबसाइट को अपडेट करने में बिल्कुल नहीं दिखाई है। सीबीआई की वेबसाइट पर कई ऐसे नाम अभी भी हैं जो इस दुनिया में नहीं है।वेबसाइट की खामियों को देखकर कोई भी कह सकता है कि सीबीआई शायद ताजा घटनाओं से अपडेट नहीं है। लेकिन गुरुवार की देर शाम उठ रहे सवालों के बाद सीबीआई ने अपनी वेबसाइट पर यह बताया कि किन स्थितियों में रड कार्नर नोटिस वापस लिया जा सकता है। लेकिन सीबीआई ने यह नहीं बताया कि यह जानकारी क्वात्रोची मामले से संबंधित है। क्वात्रोच्चि का नाम सीबीआई की सूची से हटने के बाद कई राजनीतिक दलों ने सीबीआई को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस को छोड़ भाजपा, सपा, बसपा ने सीबीआई की कामकाज की शैली पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। सीबीआई की सूची में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मास्टर माइंड लिट्टे सरगना प्रभाकरण का नाम नहीं है। इसी प्रकार अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई नूरा कास्कर की पिछले माह कराची में हत्या कर दी गई। इसके बावजूद उसका नाम वेबसाइट पर अब भी मौजूद है। वहीं, 1993 में मुंबई बमकांड का आरोपी मुस्तफा दोसा मुंबई पुलिस की हिरासत में है। बावजूद इसके वह भी मोस्ट वांटेड लिस्ट में हैं। सीबीआई पर भाजपा ने भी सवाल खड़ा किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के मुताबिक सीबीआई का गठन भ्रष्टाचार के बड़े मामलों का अन्वेषण करने और सरकार के कार्यसंचालन में शुचिता बनाए रखने के लिए किया था। लेकिन आज सीबीआई अभियुक्तों को क्लीन चिट दिलवाने में उनके साथ सांठ-गांठ करती पाई जाती है।

http://www.bhaskar.com/business/article.php?id=14760 (साभार)

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