शुक्रवार, 1 मई 2009

शाबाश इंडिया

दुबई। जीवन वही जो दूसरे के काम आ सके। हम भारतीय तो इससे बखूबी परिचित हैं। भारतीय दर्शन की ये पंक्तियां अब सऊदी अरब के नौ लोग और उनके परिजन भी कभी नहीं भूल पाएंगे। आखिर इनकी जिंदगी एक भारतीय की बख्शी हुई जो है।
एक भारतीय परिवार ने दिमागी तौर पर मृत [ब्रेन डेड] घोषित प्रवासी परिजन के 9 अंगों को दान दे दिया। इनसे सऊदी अरब के नौ जरूरतमंद लोगों की जान बचाई जा सकी है। अंगदान करने वाले व्यक्ति या उसके परिवार की पहचान गुप्त रखी गई है। उसके अंग रियाद के अस्पताल में निकाले गए और फिर रियाद, जेद्दा और दम्मम के मरीजों को दान दिए गए। ओकाज समाचार पत्र ने यह जानकारी दी। हालांकि कौन से अंग दान में दिए गए इसका पता नहीं चल सका है।
अंग पाने वालों में जेद्दा की एक महिला भी शामिल है। उसके फेफडे का प्रत्यारोपण किया गया। महिला के शौहर अल ओयुफी ने बताया कि वह पिछले आठ साल से बीमार थी। एक माह पहले डाक्टरों ने उसका अंग प्रत्यारोपण करने का फैसला किया। तभी से हम लोग किसी दानदाता के इंतजार में थे। अल्लाह ने हमारी सुन ली। किंग फैसल स्पेशलिस्ट हास्पिटल के अंग प्रत्यारोपण के समन्वयक यासर काट्टोआ ने बताता कि पहले तो लगा कि महिला का शरीर बाहरी अंग को स्वीकार ही नहीं करेगा। लेकिन सौभाग्य से आपरेशन सफल रहा।
http://in.jagran.yahoo.com/pravasi/?page=article&articleid=1274&category=८ (साभार)

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